Virat Kohli Birthday : 37 साल के हुए रिकॉर्ड्स के ‘बादशाह’ और चेज मास्टर विराट कोहली.
सिर्फ ‘किंग’ नहीं, एक ‘विरासत’: विराट कोहली के जन्मदिन पर समझिए उनका ‘माइंडसेट’ जो रनों से परे है
आज 5 नवंबर है, और गूगल से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह बस एक ही नाम गूंज रहा है – विराट कोहली। ‘किंग’ का जन्मदिन है, और यह भारतीय क्रिकेट फैंस के लिए किसी त्योहार से कम नहीं। हर कोई उनके 70 से ज्यादा शतकों, 25,000 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय रनों और अनगिनत जीतों की बात करेगा। ये आंकड़े शानदार हैं, लेकिन विराट कोहली की विरासत सिर्फ इन नंबरों में नहीं सिमटी है।
कोहली की असली देन, जो उन्हें सचिन तेंदुलकर या एमएस धोनी जैसे दिग्गजों की कतार में एक अलग जगह देती है, वह है उनका ‘माइंडसेट’ और भारतीय क्रिकेट के ‘कल्चर’ (संस्कृति) में लाया गया अभूतपूर्व बदलाव।
1. फिटनेस की क्रांति
कोहली से पहले, भारतीय क्रिकेट प्रतिभा (talent) पर चलता था। फिटनेस जरूरी थी, पर जुनून नहीं। कोहली ने इस समीकरण को हमेशा के लिए बदल दिया। उन्होंने न केवल खुद को दुनिया के सबसे फिट एथलीटों में से एक बनाया, बल्कि पूरी टीम के लिए एक नया बेंचमार्क स्थापित किया। ‘यो-यो टेस्ट’ का आना और फिटनेस को टीम चयन का मुख्य आधार बनाना, यह कोहली की ही देन थी।
आज जो हम जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज और अन्य तेज गेंदबाजों की एक ‘फैक्ट्री’ देखते हैं, जो मैदान पर चीते सी फुर्ती दिखाते हैं और विकेटों के बीच खरगोश की तरह दौड़ते हैं, उस क्रांति की नींव कोहली ने ही रखी थी। उन्होंने टैलेंट को अनुशासन के धागे में पिरो दिया।
2. आक्रामकता (Aggression) की नई परिभाषा
पुराने दौर में, भारतीय टीम को विदेशी धरती पर ‘दबकर’ खेलने या ‘ड्रॉ’ से खुश हो जाने के लिए जाना जाता था। कोहली ने इस सोच को जड़ से उखाड़ फेंका। उन्होंने टीम इंडिया को सिखाया कि आंखों में आंखें डालकर, आक्रामकता के साथ कैसे खेला जाता है।
उनकी कप्तानी में भारत सिर्फ ‘प्रतिस्पर्धा’ करने नहीं, बल्कि ‘जीतने’ के इरादे से मैदान पर उतरा। ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराना हो या इंग्लैंड में दबदबा बनाना, यह कोहली का ही आत्मविश्वास था जिसने टीम को यकीन दिलाया कि हम दुनिया में किसी से कम नहीं हैं।
3. स्टैंडर्ड्स इतने ऊंचे कि ‘औसत’ भी कम लगे
कोहली की महानता का सबसे बड़ा सबूत उनका वह दौर है जब वह “खराब फॉर्म” में थे। उस “खराब” दौर में भी वह लगातार अर्धशतक बना रहे थे, लेकिन उन्होंने खुद के लिए जो स्टैंडर्ड सेट किया था, वह इतना ऊंचा था कि 50 रन भी फैंस को ‘विफलता’ लगते थे।
तो, आज जब हम विराट कोहली का जन्मदिन मना रहे हैं, तो सिर्फ उनके रनों का जश्न न मनाएं, बल्कि उस ‘ज़िद’, उस ‘प्रोसेस’ और उस ‘बदलाव’ का भी जश्न मनाएं, जिसने भारतीय क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया।
जन्मदिन मुबारक हो, किंग कोहली!
